{"vars":{"id": "95046:4868"}}

गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनेगा 550 किमी लंबा एक्सप्रेसवे,  8 जिलों के 305 गांवों की भूमि का होगा अधिग्रहण, जानें...

गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनने वाला 550 किलोमीटर लंबा गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा। यह एक्सप्रेसवे न केवल यात्रा के समय को कम करेगा, बल्कि व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। एक्सप्रेसवे का मुख्य हिस्सा बिहार से होकर गुजरेगा, जिससे इस राज्य के विकास को भी गति मिलेगी।
 

Haryana Kranti, New Delhi: गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनने वाला 550 किलोमीटर लंबा गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा। यह एक्सप्रेसवे न केवल यात्रा के समय को कम करेगा, बल्कि व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। एक्सप्रेसवे का मुख्य हिस्सा बिहार से होकर गुजरेगा, जिससे इस राज्य के विकास को भी गति मिलेगी।

कितने गांवों से गुजरेगा एक्सप्रेसवे ?

इस एक्सप्रेसवे से बिहार के 8 जिलों के 305 गांव प्रभावित होंगे, जहाँ भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी। ये गांव पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, मधुबनी, किशनगंज और अररिया जिलों में स्थित हैं।

भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया 

बिहार में 2755 हेक्टेयर निजी और 168 हेक्टेयर सरकारी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। प्रेसवे पर 25 जगहों पर इंटरचेंज की सुविधा होगी, जिससे वाहनचालकों को रास्ता बदलने में आसानी होगी। गंडक नदी पर दो बड़े पुल बनाए जाएंगे, जिनमें से एक 10 किलोमीटर लंबा होगा। इसका एक हिस्सा यूपी और दूसरा बिहार में होगा।

गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के बीच दूरी को कम करेगा और बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इसके बनने से न केवल यात्रा के समय में कमी आएगी, बल्कि आर्थिक विकास और व्यापार में भी वृद्धि होगी। इस प्रोजेक्ट से जुड़े प्रभावित गांवों के लोगों के लिए भूमि अधिग्रहण एक बड़ा मुद्दा होगा, जिससे उन्हें मुआवजे का लाभ मिलेगा।