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राजस्थान में 150 साल पुराने रेलवे ट्रैक को मिलेगा नया जीवन, यात्रियों को मिलेगी विदेशों वाली सुविधा

यह रेलवे ट्रैक राजस्थान का सबसे पुराना रेलवे जंक्शन है जो इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर है। आगरा से बांदीकुई तक की यह रेलवे लाइन 1874 में बिछाई गई थी और अब इसे डेढ़ सौ साल बाद दोहरीकरण की आवश्यकता महसूस हो रही है।
 
Old Railway Junction

राजस्थान और उत्तरप्रदेश के बीच प्रमुख रेल मार्ग पर एक ऐतिहासिक कार्य की शुरुआत हुई है। बांदीकुई से आगरा के बीच करीब 151 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का दोहरीकरण किया जाएगा। यह रेलवे ट्रैक 1874 में बिछाया गया था और लगभग 150 साल बाद अब इसे दोहरीकरण के जरिए नया रूप मिलेगा। इस कार्य की शुरुआत के साथ रेलवे ने इस मार्ग पर ट्रेनों की गति और संख्या में वृद्धि की उम्मीद जताई है जिससे यात्रा समय में भी कमी आएगी और यात्री सुविधा में सुधार होगा।

बांदीकुई-आगरा रेल मार्ग का दोहरीकरण

बांदीकुई से आगरा तक की यह ऐतिहासिक रेलवे लाइन अब दोहरीकरण के कार्य के तहत नया रूप लेगी। रेलवे ने इस परियोजना के लिए 1388 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। इस परियोजना का काम अगले दो वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है और 2026 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस कार्य के लिए रेलवे ने तीन फेज में 300 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति भी दे दी हैजिसमें पहले फेज में 30 करोड़ रुपये, दूसरे फेज में 70 करोड़ रुपये और तीसरे फेज में 200 करोड़ रुपये की राशि शामिल है।

पुरानी रेलवे लाइन का महत्व

यह रेलवे ट्रैक राजस्थान का सबसे पुराना रेलवे जंक्शन है जो इतिहास की एक महत्वपूर्ण धरोहर है। आगरा से बांदीकुई तक की यह रेलवे लाइन 1874 में बिछाई गई थी और अब इसे डेढ़ सौ साल बाद दोहरीकरण की आवश्यकता महसूस हो रही है। इस दोहरीकरण से न केवल ट्रेनों की संख्या बढ़ सकेगी बल्कि रेलमार्ग पर यात्रियों को भी बेहतर सेवाएं मिल सकेंगी। साथ ही मालगाड़ियों की संख्या में भी वृद्धि होने की संभावना है।

यात्री और मालवाहन दोनों के लिए लाभकारी

बांदीकुई से आगरा तक के रेलवे मार्ग पर वर्तमान में 30 जोड़ी सवारी गाड़ियां और करीब 40 मालगाड़ियां रोजाना चल रही हैं। इस ट्रैक पर यात्रियों और मालवाहन दोनों का दबाव बढ़ता जा रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस ट्रैक का दोहरीकरण होने से ट्रेनों की गति में भी बढ़ोतरी होगी और यात्रियों को सफर के दौरान ज्यादा समय नहीं गंवाना पड़ेगा। वर्तमान में कई बार मालगाड़ियों और सवारी ट्रेनों को रोककर एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों को निकाला जाता है, जिससे यात्रियों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है।

समय की बचत और बेहतर यात्रा

बांदीकुई-आगरा रेलवे मार्ग का दोहरीकरण होने से सफर का समय काफी घट सकता है। यह दोहरीकरण रेलवे लाइन पर चलने वाली सवारी गाड़ियों के लिए भी फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा मालगाड़ियों की संख्या बढ़ने से इस मार्ग पर व्यापारिक गतिविधियाँ भी तेज हो सकती हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस रेल मार्ग पर ट्रेनों के बढ़ते दबाव को देखते हुए दोहरीकरण एक आवश्यक कदम था। इसके पूरा होने के बाद इस मार्ग पर अधिक ट्रेनों का संचालन हो सकेगा जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

रेलवे के लिए आर्थिक दृष्टिकोण

रेलवे ने इस दोहरीकरण परियोजना को लेकर एक विस्तृत वित्तीय योजना तैयार की है। इस परियोजना के लिए निर्धारित बजट 1388 करोड़ रुपये है जिसमें तीन फेज के तहत 300 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति दी जा चुकी है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना का पूरा होना न केवल यात्री सुविधाओं में वृद्धि करेगा बल्कि इससे रेलवे को आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाभ होगा। यह परियोजना रेलवे नेटवर्क को मजबूत करने के अलावा क्षेत्रीय विकास में भी सहायक सिद्ध होगी।

रेलवे के अनुसार इस दोहरीकरण से ट्रेनों की गति और संचालन में बेहतर तालमेल होगा, जिससे यात्री और माल दोनों के लिए सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिलेगा। साथ ही रेलवे ने इस परियोजना के लिए समयसीमा भी निर्धारित की है। 2026 तक इस कार्य को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जिससे ट्रेनों की संख्या और गति दोनों में वृद्धि होगी।

रेलवे द्वारा दी गई वित्तीय स्वीकृति

रेलवे बोर्ड ने इस परियोजना के तीन फेज के लिए वित्तीय स्वीकृति दी है। पहले फेज में 30 करोड़ रुपये, दूसरे फेज में 70 करोड़ रुपये और तीसरे फेज में 200 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। यह बजट प्रबंधन रेलवे नेटवर्क के विस्तार और सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना के पूरा होने से पूरे क्षेत्र में यात्री और मालवाहन सेवाओं का बेहतर संचालन संभव होगा।

यह दोहरीकरण परियोजना राजस्थान और उत्तरप्रदेश के कई प्रमुख शहरों को जोड़ती है। इसके तहत कई अन्य शहरों के लिए भी रेलवे सुविधाएं बढ़ेंगी, जिससे स्थानीय व्यापार और परिवहन में सुधार आएगा। इस परियोजना का सीधा लाभ उन शहरों और गांवों को मिलेगा, जो इस ट्रैक के किनारे स्थित हैं।