7th Pay Commission : बकाया DA का जलवा होगा पूरा, जल्द सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा 186% मुनाफा?

7th Pay Commission Latest Update : सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बार फिर उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। लंबे समय से डीए (dearness allowance) बकाया को लेकर चल रहे मुद्दे और सैलरी बढ़ाने की मांगों के बीच अब 8वें वेतन आयोग को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है। अगर ये प्रस्ताव लागू होते हैं तो कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में भारी इजाफा हो सकता है।
क्यों अटका है भुगतान?
कोविड महामारी के दौरान सरकार ने महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी पर रोक लगा दी थी। बाद में डीए में वृद्धि तो हुई लेकिन 18 महीने का डीए बकाया अब भी अटका हुआ है। केंद्रीय मंत्रियों ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार के पास फिलहाल इसे चुकाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
लेकिन इन सबके बीच, नेशनल काउंसिल ऑफ ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (स्टाफ साइड) के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने 8वें वेतन आयोग के गठन और नए फिटमेंट फैक्टर की मांग को लेकर बयान दिया।
8वें वेतन आयोग में क्या हो सकती हैं बड़ी मांगें?
शिव गोपाल मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस बार फिटमेंट फैक्टर को 2.86 तक बढ़ाने की मांग की जाएगी। इसका मतलब है कि कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 17,990 रुपये से बढ़कर 51,451 रुपये हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग न्यूनतम वेतन 34-35 हजार तक बढ़ाने की बात कर रहे हैं, उनकी मांग का कोई ठोस आधार नहीं है। इस बार फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाकर सैलरी में तीन गुना तक का इजाफा किया जा सकता है।
फिटमेंट फैक्टर कैसे बढ़ाता है वेतन?
फिटमेंट फैक्टर को हर वेतन आयोग में सैलरी निर्धारण का मुख्य आधार माना जाता है।
- 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को 2.57 रखा गया था। इसके बाद न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़ाकर 17,000 रुपये किया गया।
- अगर इसे 2.86 किया जाता है, तो वेतन में लगभग 186 प्रतिशत की वृद्धि संभव है।
न्यूनतम वेतन बढ़ने से भत्तों पर क्या असर पड़ेगा?
अगर केंद्र सरकार फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाकर 2.86 करती है तो इसका सीधा असर कर्मचारियों के अन्य भत्तों पर भी होगा।
- महंगाई भत्ता (डीए): मौजूदा डीए के अनुपात में बढ़ोतरी होगी।
- यात्रा भत्ता (टीए): बढ़ा हुआ मूल वेतन यात्रा भत्ते को भी प्रभावित करेगा।
- मकान किराया भत्ता (एचआरए): यह भी मूल वेतन के अनुपात में बढ़ेगा।
- अन्य सुविधाओं जैसे ग्रेच्युटी और पेंशन में भी सुधार होगा।
पहले वेतन आयोग से लेकर 7वें वेतन आयोग तक सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में कई सुधार किए गए हैं।
- पहला वेतन आयोग 1946 में आया था।
- 7वें वेतन आयोग ने सिफारिश की थी कि सैलरी बढ़ाने के लिए 10 साल तक इंतजार करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।
हालांकि 7वें वेतन आयोग के समय 26,000 रुपये न्यूनतम वेतन की मांग को सरकार ने खारिज कर दिया था। इसके बजाय इसे 18,000 रुपये रखा गया।
क्या कहती है अंतरराष्ट्रीय सिफारिशें?
7वें वेतन आयोग में सैलरी निर्धारण के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम आयोग के नियम और डॉ. अकरोयड का फार्मूला अपनाया गया था। हालांकि कर्मचारियों को उम्मीद है कि 8वें वेतन आयोग में इन नियमों का बेहतर तरीके से पालन होगा।
डीए और वेतन आयोग पर आगे का रास्ता
कर्मचारियों की ओर से बढ़ती मांगों और सरकार की चुप्पी के बीच 8वें वेतन आयोग पर सरकार का रुख तय करेगा कि वेतन वृद्धि और डीए बकाया का मामला कैसे सुलझता है।