गेहूं की बुवाई से पहले किसानों पर DAP की मार, आदेश जारी कर मोदी सरकारने लिया बड़ा फैसला

डीएपी खाद की कमी ने किसानों को नए विकल्पों पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। किसानों ने एनपीके खाद का उपयोग करना शुरू किया है और परिणाम उत्साहवर्धक हैं। एनपीके खाद में नाइट्रोजन फॉस्फोरस और पोटाश जैसे आवश्यक तत्व शामिल होते हैं जो फसलों की वृद्धि और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। एनपीके खाद फसलों के लिए एक संपूर्ण पोषण पैकेज है। नाइट्रोजन पौधों की पत्तियों को हरा-भरा और घना बनाता है। फॉस्फोरस जड़ों को मजबूत बनाता है और पोटाश पौधों को रोगों से बचाता है। ये सभी तत्व मिलकर पौधों को संतुलित पोषण प्रदान करते हैं।
इस प्रकार एनपीके खाद का उपयोग करने से फसल की उपज में वृद्धि होती है और किसानों को बेहतर उत्पादन मिलता है। किसान जगरूप राजपूत ने बताया कि वे हमेशा डीएपी खाद का ही इस्तेमाल करते थे। इस बार जब उन्हें डीएपी की कमी का सामना करना पड़ा तो उन्होंने एनपीके खाद का उपयोग करने का निर्णय लिया। उनके अनुसार एनपीके खाद भी डीएपी की तरह ही प्रभावी है। यह खाद मिट्टी में आसानी से घुल जाती है और पौधों को पर्याप्त पोषण देती है।
किसानों के अनुभव
जगरूप ने चना गेहूं और सरसों की फसलों में एनपीके का उपयोग किया और शुरुआती नतीजे काफी अच्छे रहे। उन्होंने अपने अन्य किसान मित्रों के अनुभवों का भी जिक्र किया जिन्होंने एनपीके खाद का उपयोग किया और इसे फायदेमंद पाया। छतरपुर जिले के कृषि अधिकारी डॉ. कबीर कृष्ण वैध का मानना है कि एनपीके खाद किसानों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है। उन्होंने बताया कि डीएपी की तुलना में एनपीके में नाइट्रोजन फॉस्फोरस और पोटाश सभी आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं। नाइट्रोजन पत्तियों के विकास में फॉस्फोरस जड़ों और फूलों के विकास में तथा पोटाश फसल की गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है।
एनपीके बनाम डीएपी
छतरपुर जिले के अधिकांश किसान डीएपी खाद का उपयोग करते हैं। डीएपी में फॉस्फोरस और नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है जो फसलों की शुरुआती बढ़वार के लिए फायदेमंद होती है। इसकी कीमत 50 किलो के बैग के हिसाब से 1350 रुपये है जो किसानों के बजट में फिट बैठती है। इसी कारण डीएपी खाद यहां किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है। हालांकि जब डीएपी खाद की कमी हो जाती है तो किसान एनपीके खाद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस खाद की कीमत डीएपी की तुलना में थोड़ी अधिक है लेकिन इसकी संतुलित पोषण क्षमता इसे एक बेहतर विकल्प बनाती है।
कृषि अधिकारी की राय
डॉ. कबीर ने कहा कि एनपीके खाद मिट्टी में आसानी से घुलकर पौधों को पोषण प्रदान करता है जिससे मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसान एनपीके खाद का सही उपयोग करें तो उनकी फसलें स्वस्थ और मजबूत होंगी। किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे एनपीके खाद का उपयोग करें खासकर जब उन्हें डीएपी खाद नहीं मिल रहा हो। एनपीके खाद का प्रयोग न केवल फसल की उपज को बढ़ाता है बल्कि यह किसानों के लिए भी लाभकारी साबित हो सकता है।
खाद की मांग में वृद्धि
छतरपुर जिले में रबी फसल की बुवाई के साथ खाद की मांग भी बढ़ गई है। किसान अपनी फसलों के लिए उपयुक्त खाद की तलाश में हैं। जब डीएपी उपलब्ध नहीं है तो एनपीके खाद एक संभावित विकल्प है। किसान जगरूप राजपूत ने कहा "मैंने एनपीके खाद का प्रयोग करके देखा है और यह बहुत प्रभावी साबित हुआ है। मैं भविष्य में भी इसका उपयोग जारी रखूंगा।" उनके जैसे कई किसान हैं जो एनपीके के लाभों को पहचान रहे हैं और इसे अपनी खेती में शामिल कर रहे हैं।
डॉ. कबीर का मानना है कि यदि किसानों को सही मार्गदर्शन मिले और वे एनपीके का सही उपयोग करें तो यह खाद उन्हें बेहतर परिणाम दे सकती है। किसान मित्रों से चर्चा करते हुए जगरूप ने कहा कि उनके साथी किसान भी एनपीके खाद का उपयोग कर रहे हैं और सभी ने इसके अच्छे परिणाम देखे हैं। इस तरह एनपीके खाद न केवल किसानों के लिए एक विकल्प है बल्कि यह उनकी फसलों की वृद्धि और उत्पादन को भी बढ़ा सकता है। इस खाद के उपयोग से फसल की गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है।