2 बार हाथ लगी असफलता! तीसरी बार UPSC परीक्षा में हासिल की 52वीं रैंक, पढ़ें IAS प्रतीक्षा सिंह कहानी

Success Story: आईएएस अधिकारी प्रतीक्षा सिंह की सफलता एक प्रेरणा है, जिन्होंने कठिनाइयों और असफलताओं को पार कर अपने सपने को साकार किया। प्रतीक्षा सिंह 2023 बैच की आईएएस (UPSC Success Story) अधिकारी हैं और वर्तमान में बिहार के बक्सर जिले में एसडीएम (Subsidiary District Magistrate) के पद पर तैनात हैं। हालांकि, हाल ही में उन्होंने अपना स्थानांतरण उत्तर प्रदेश कैडर में कराया और अब वह यूपी कैडर की आईएएस अधिकारी बन गई हैं। इस कदम से वह खूब चर्चा में आई हैं, खासकर यह जानने के बाद कि उनके पति भी यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं।
प्रतीक्षा सिंह की शिक्षा
प्रतीक्षा सिंह का जन्म प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका परिवार वर्तमान में गाजियाबाद के साहिबाबाद में रहता है। उनके पिता प्रेम बहादुर सिंह एक शिक्षक हैं और मां नीलम सिंह गृहिणी हैं। प्रतीक्षा सिंह का एक भाई भी है, जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। प्रतीक्षा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गृह नगर से प्राप्त की, और फिर एमए की डिग्री 2019 में पूरी की।
यूपीएससी की कठिन यात्रा
प्रतीक्षा सिंह का हमेशा से सपना था कि वह आईएएस अधिकारी बनें। 2019 में उन्होंने यूपीएससी (UPSC CSE) की तैयारी शुरू की। हालांकि, शुरुआत में उन्हें सफलता नहीं मिली। वर्ष 2020 में उन्होंने प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा पास तो कर ली, लेकिन इंटरव्यू में सफलता नहीं मिल पाई।
इस असफलता के बाद भी प्रतीक्षा ने हार नहीं मानी। उन्होंने फिर 2021 में यूपीएससी प्रीलिम्स को भी पास नहीं किया, लेकिन उनकी मेहनत ने रंग दिखाया। 2020 में उन्होंने यूपीपीएससी की पीसीएस परीक्षा में सातवीं रैंक हासिल की और वह यूपी सरकार में डिप्टी कलेक्टर बन गईं।
आईएएस बनने का सफर
दो बार असफलता का सामना करने के बाद भी प्रतीक्षा सिंह ने यूपीएससी की तैयारी जारी रखी। 2022 में उन्होंने फिर से यूपीएससी परीक्षा दी और इस बार उन्होंने 52वीं रैंक के साथ सफलता प्राप्त की। इस सफलता के बाद वह आईएएस अधिकारी बन गईं और एसडीएम के पद पर नियुक्त हुईं।
स्थानांतरण का कारण
प्रतीक्षा सिंह के लिए उनके उत्तर प्रदेश कैडर में स्थानांतरण की मांग और मंजूरी महत्वपूर्ण थी। उन्होंने यह निर्णय लिया क्योंकि उनके पति यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, और इस कारण उन्होंने अपने कैडर को उत्तर प्रदेश में बदलने का फैसला किया। उनकी इस पसंदीदा नियुक्ति ने उन्हें और अधिक पहचान दिलाई है।