हरियाणा की बेटियों ने बढ़ाया प्रदेश का मान, वर्षा और रूबल बनीं राजस्थान में जज, परिवार में खुशी की लहर

हरियाणा की दो होनहार बेटियों ने राजस्थान में जज बनकर अपने गांव और परिवार का नाम रोशन किया है। राजस्थान कैडर में करनाल की वर्षा और कैथल जिले की रूबल ने जज बनने की सफलता पाई है। वर्षा को 65वीं और रूबल को 76वीं रैंक मिली है। यह खबर 22 अगस्त 2024 के बाद से विशेष चर्चा में है जब रूबल के पिता का निधन हुआ था पर इसके बाद भी उसने अपने पहले ही प्रयास में यह उपलब्धि हासिल कर ली। गांव में जश्न का माहौल है और दोनों बेटियों का स्वागत माला पहनाकर और ढोल बजाकर किया गया। इन दोनों बेटियों की सफलता सिर्फ उनके परिवार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा के लिए गर्व का विषय है।
शिक्षा और परिश्रम की राह पर आगे बढ़ी बेटियां
रूबल ने कैथल के राधा कृष्ण स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ली और फिर सोनीपत के भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। अपनी शिक्षा पूरी करने के साथ ही उन्होंने न्यायिक सेवा में प्रवेश की तैयारी शुरू की और पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर ली। वर्षा की कहानी भी प्रेरणादायक है; उन्होंने करनाल के केवीडीएवी कॉलेज से बीएससी की और फिर बाबैन कॉलेज ऑफ लॉ से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। एलएलबी पूरी करने के बाद उन्होंने न्यायिक सेवा की परीक्षा दी और उसमें भी सफलता प्राप्त की।
परिवार की भूमिका
वर्षा और रूबल के परिवारों ने उनकी इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्षा के पिता का निधन हो चुका है, जिसके बाद उनके चाचा दीपक ने उन्हें हर कदम पर समर्थन दिया। दीपक ने बताया, "हमने कभी उसे पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। वर्षा का सपना हमारा सपना बन गया, और आज हम उसकी इस सफलता पर गर्व महसूस कर रहे हैं।" वहीं, रूबल के पिता का भी हाल ही में निधन हुआ था। कठिनाइयों के बावजूद उनके परिवार ने उन्हें हर संभव सहायता दी ताकि वह अपना सपना पूरा कर सके।
छोटी बहन की प्रेरणादायक बातें
वर्षा की छोटी बहन प्राची भी एलएलबी की पढ़ाई कर रही है। उसने बताया, "रात को जब भी उठती, वर्षा को पढ़ाई करते हुए देखती थी। उसे कई बार आराम करने के लिए कहते, पर उसमें लक्ष्य को पाने का जुनून था।" प्राची की इन बातों से वर्षा की मेहनत और समर्पण का अंदाजा लगाया जा सकता है। गांव कलसौरा के सरपंच ने वर्षा और रूबल की इस सफलता पर उनका स्वागत किया और दोनों को गर्व से गले लगाया। सरपंच ने कहा, "इन बेटियों ने गांव का नाम ऊँचा किया है। ऐसी बेटियों को सलाम है जो अपनी मेहनत और लगन से हर मुश्किल को पार कर जाती हैं।" इस स्वागत समारोह में ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़े बजाकर अपनी खुशी जताई और माला पहनाकर उनका अभिनंदन किया।
बेटियों का संदेश
वर्षा और रूबल ने युवा पीढ़ी को प्रेरणा देते हुए संदेश दिया कि मेहनत और संस्कारों का महत्व समझें। वर्षा का कहना है, "अपने से बड़ों का आदर करें और माता-पिता के संस्कारों को अपने जीवन में अपनाएं। यह सफलता उन्हीं संस्कारों की देन है।" रूबल ने भी अपने कठिनाइयों को प्रेरणा मानकर मेहनत करने की बात कही।
ऑनलाइन कोचिंग का सहारा
इन बेटियों ने ज्यादातर पढ़ाई घर बैठे की। वर्षा ने बताया कि उन्हें ऑनलाइन कोचिंग से बहुत मदद मिली। उन्होंने कहा, "अगर हम ठान लें तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। मेरे माता-पिता का सपना था कि मैं इस मुकाम पर पहुँचूँ और आज वह सपना पूरा हो गया है।"
पहली बार में मिली सफलता
रूबल और वर्षा ने न्यायिक सेवा परीक्षा में पहली ही बार में सफलता प्राप्त की है। दोनों के लिए यह सफर आसान नहीं था, पर उनकी कड़ी मेहनत और परिवार के समर्थन ने उन्हें इस मंजिल तक पहुँचाया। उनकी सफलता न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे हरियाणा के लिए गर्व का विषय है।
सम्मान समारोह में मिला भरपूर सम्मान
गांव में हुए सम्मान समारोह में रूबल और वर्षा का स्वागत हुआ। ग्रामीणों ने उनके सम्मान में ढोल बजाए और माला पहनाई। सरपंच और ग्रामीणों ने उनके पैर छूकर उनकी मेहनत की सराहना की। यह सम्मान समारोह ग्रामीण समुदाय में बेटियों के महत्व को दर्शाता है और यह साबित करता है कि समाज बेटियों की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करता है।