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हाईकोर्ट का बिल्डर्स को बड़ा तोहफा, सब-लीज कैंसिलेशन आदेश खारिज, जानें क्या मिलेंगे आपको लाभ

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि संबंधित रिव्यू पीटिशंस को छह हफ्ते के भीतर नए सिरे से निपटाया जाए। यह निर्देश यूजी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और कलरफुल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड की रिट पीटिशन के संदर्भ में दिया गया।
 
allahabad high court

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नोएडा क्षेत्र के बिल्डर्स को महत्वपूर्ण राहत देते हुए यूपी सरकार के इंडस्ट्री के प्रमुख सचिव द्वारा पारित दो आदेशों को खारिज कर दिया है जिनमें बिल्डर्स के सब-लीज को रद्द करने के निर्देश थे। न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि संबंधित रिव्यू पीटिशंस को छह हफ्ते के भीतर नए सिरे से निपटाया जाए। यह निर्देश यूजी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और कलरफुल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड की रिट पीटिशन के संदर्भ में दिया गया। 

मुख्य सचिव के विरोधाभासी आदेशों पर सवाल
 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने आरोप लगाया कि मुख्य सचिव अनिल कुमार सागर ने समान याचिकाओं पर विरोधाभासी आदेश जारी किए जिससे बिल्डर्स को 'शून्य-अवधि' का लाभ नहीं मिल पाया। इस पर अपर महाधिवक्ता वीके शाही और मुख्य स्थायी अधिवक्ता रवि सिंह सिसौदिया ने विरोध किया उनका तर्क था कि प्रत्येक मामले के तथ्य अलग थे इसलिए आदेश भी भिन्न होने चाहिए थे। 

समान मामलों में समान निर्णय
 

हालांकि न्यायालय ने कहा कि दोनों मामलों की कानूनी स्थिति समान है। न्यायालय का मानना था कि रिव्युइंग अथॉरिटी को विभिन्न तथ्यों और कारणों को दर्ज किए बिना विरोधाभासी आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं था। यह स्थिति न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और समता के सिद्धांत को प्रभावित करती है जिससे यह स्पष्ट होता है कि समान मामले में अलग-अलग निर्णय नहीं होने चाहिए। 

राज्य सरकार की कार्रवाई
 

शनिवार देर रात उत्तर प्रदेश सरकार ने सागर को YEIDA के चेयरमैन पद से हटा दिया। उन्हें उनके अन्य विभागों जैसे कि प्रमुख सचिव बुनियादी ढांचे औद्योगिक विकास आईटी और एनआरआई मामलों से भी मुक्त कर दिया गया। उन्हें नई पोस्टिंग के लिए वेटिंग लिस्ट में डाल दिया गया है। इस फैसले के तहत राज्य सरकार ने अपील सुनने की जिम्मेदारी तीन अलग-अलग अधिकारियों को सौंपा है।