शादी के बाद ससुर की संपत्ति पर दामाद का कितना होता है अधिकार, कोर्ट के फैसले से हुआ बड़ा खुलासा

High Court : शादी के बाद रिश्तों में कई नई जटिलताएं जुड़ जाती हैं खासतौर पर जब बात संपत्ति से जुड़े अधिकारों की हो। अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या दामाद का अपने ससुर की प्रॉपर्टी में कोई कानूनी अधिकार होता है? हाल ही में केरल हाई कोर्ट ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाते हुए इसे स्पष्ट कर दिया। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस मामले में अदालत और कानून क्या कहते हैं।
क्या कहता है कानून?
कानूनी दृष्टिकोण से दामाद का अपने ससुर की संपत्ति पर कोई स्वाभाविक या कानूनी अधिकार नहीं होता। भारतीय कानून के तहत, किसी व्यक्ति की संपत्ति पर अधिकार उसके उत्तराधिकारियों या वसीयत में बताए गए लाभार्थियों को मिलता है। ससुर की प्रॉपर्टी पर दामाद तभी दावा कर सकता है जब ससुर स्वेच्छा से उसे संपत्ति हस्तांतरित करें। यदि यह हस्तांतरण धोखाधड़ी या दबाव में हुआ है, तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
केरल हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एन अनिल कुमार ने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। यह मामला कन्नूर जिले के डेविस राफेल द्वारा दायर याचिका से जुड़ा था। डेविस ने पय्यन्नूर उप-न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उनके ससुर हेंड्री थॉमस की संपत्ति पर उनके अधिकार के दावे को खारिज कर दिया गया था।
हेंड्री ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उनकी प्रॉपर्टी को उनके दामाद डेविस ने जबरदस्ती कब्जे में लेने की कोशिश की। उन्होंने अदालत से स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की थी। डेविस ने अपनी दलील में कहा कि शादी के बाद उन्हें परिवार का सदस्य माना गया और इसलिए वह प्रॉपर्टी में हिस्सेदारी के हकदार हैं। लेकिन अदालत ने यह तर्क खारिज कर दिया।
अदालत का फैसला
हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि दामाद का ससुर की संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शादी के बाद दामाद को "परिवार का सदस्य" मानना पर्याप्त नहीं है। संपत्ति पर अधिकार के लिए कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त आधार होना आवश्यक है।
हेंड्री ने अदालत में यह भी स्पष्ट किया कि वह संपत्ति चर्च से उपहार स्वरूप प्राप्त की थी और अपने मेहनत से उस पर निर्माण किया। इस तर्क को अदालत ने स्वीकार किया और दामाद के दावे को अस्वीकार कर दिया।
पत्नी के अधिकार का क्या?
पत्नी का अपने ससुराल की पैतृक संपत्ति पर भी कोई सीधा कानूनी अधिकार नहीं होता। अगर पति की मृत्यु हो जाती है, तो पत्नी को उतना ही हिस्सा मिलता है जितना उनके पति को मिलता। अगर सास-ससुर का निधन होता है और उन्होंने अपनी संपत्ति किसी और के नाम वसीयत नहीं की हो तब पत्नी संपत्ति में हिस्सेदारी की हकदार हो सकती है।
संपत्ति विवाद से बचने के उपाय
संपत्ति विवादों से बचने के लिए परिवारों को स्पष्ट और लिखित वसीयत तैयार करनी चाहिए। इसके अलावा संपत्ति का हस्तांतरण केवल कानूनी प्रक्रिया के तहत ही किया जाना चाहिए।