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दूसरे प्रयास में यूपीएससी एग्जाम में हासिल की 23वीं रैंक, जोश भर देगी तपस्या परिहार की कहानी 

तपस्या परिहार, जो वर्तमान में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में पोस्टेड हैं, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की एक प्रमुख अधिकारी हैं। उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम 2017 में रैंक 23 से सफलता प्राप्त की, जो कि एक शानदार उपलब्धि है। तपस्या की यात्रा न केवल उनकी कठिन मेहनत और लगन की कहानी है, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास और अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा भी देती है।
 
IAS Story

IAS Story: तपस्या परिहार, जो वर्तमान में मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में पोस्टेड हैं, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की एक प्रमुख अधिकारी हैं। उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम 2017 में रैंक 23 से सफलता प्राप्त की, जो कि एक शानदार उपलब्धि है। तपस्या की यात्रा न केवल उनकी कठिन मेहनत और लगन की कहानी है, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास और अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा भी देती है।

तपस्या परिहार का शुरुआती जीवन

तपस्या परिहार मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के जोवा गांव से आती हैं। उनका परिवार साधारण था, लेकिन उनके पिता विश्वास परिहार, जो एक किसान हैं, ने हमेशा अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए समर्थन दिया। तपस्या का जीवन एक साधारण घर से शुरू हुआ, लेकिन उनके अथक प्रयास और दृढ़ संकल्प ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

शिक्षा और शुरुआती संघर्ष

तपस्या ने अपनी स्कूली शिक्षा नरसिंहपुर के केंद्रीय विद्यालय से की थी, जहाँ वह हमेशा कक्षा में अव्‍वल रही थीं। इसके बाद, उन्होंने वकालत (LLB) की पढ़ाई पुणे के इंडिया लॉ सोसाइटी लॉ स्कूल से की। कानून की पढ़ाई के बाद तपस्या का रुझान सिविल सर्विसेज की ओर बढ़ा। तपस्या ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी का निर्णय लिया, लेकिन पहले प्रयास में कोचिंग लेने के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली। इस असफलता के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी।

सफलता की कहानी: दूसरा प्रयास और तैयारी

दूसरे प्रयास में, तपस्या ने कोचिंग छोड़कर आत्म-निर्भर तैयारी की। उन्होंने अपनी खुद की अध्ययन विधि विकसित की और नोट्स बनाकर अध्ययन किया। सेल्फ-स्टडी के साथ उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2017 में रैंक 23 प्राप्त की। उनका चयन IAS ऑफिसर के पद पर हुआ।

तपस्या परिहार का वैवाहिक जीवन

दिसंबर 2021 में तपस्या ने भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अधिकारी गर्वित गंगवार से शादी की। उनकी शादी में एक दिलचस्प घटना घटी, जब उन्होंने कन्यादान की रस्म से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने पिता से कहा, "मैं कोई दान करने की चीज नहीं हूं।" यह उनका एक बड़ा और सशक्त कदम था, जिसने उन्हें व्यापक सराहना दिलाई।