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यूपी में 1 लाख घरों को रोशनी देगा देश का पहला ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट, 90 से अधिक गांवों की जमीन होगी अधिग्रहण

बुंदेलखंड सोलर एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से चित्रकूट तक लगभग 296 किलोमीटर लंबा है। इसे चार लेन में बनाया गया है और इसे पूरा होने में 28 महीने का समय लगा। एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर सोलर पैनल लगाने का काम जल्द शुरू होगा।
 
First Green Energy Project

Green Energy Project: उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में बुंदेलखंड सोलर एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Solar Expressway) देश का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है जिसके दोनों किनारों पर सोलर पैनल लगाकर बिजली बनाई जाएगी। इस परियोजना की शुरुआत के साथ ही यूपी एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया है। यह परियोजना न सिर्फ बिजली उत्पादन में क्रांति लाएगी बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा देगी।

बुंदेलखंड सोलर एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से चित्रकूट तक लगभग 296 किलोमीटर लंबा है। इसे चार लेन में बनाया गया है और इसे पूरा होने में 28 महीने का समय लगा। एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर सोलर पैनल लगाने का काम जल्द शुरू होगा। इस परियोजना के तहत लगभग 550 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जो एक लाख घरों को रोशन करने के लिए पर्याप्त होगी।

सरकार ने एक्सप्रेसवे के किनारे की जमीन को पहले ही चिन्हित कर लिया है और जल्द ही अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी। परियोजना के पूरा होने से आसपास की जमीन की कीमतों में भारी उछाल देखा जाएगा।

100 गांवों को होगा सीधा फायदा

यह एक्सप्रेसवे सात जिलों से होकर गुजरता है जिनमें जालौन, चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, औरैया और इटावा शामिल हैं। इस परियोजना के अंतर्गत 100 गांवों की जमीन अधिग्रहण की जाएगी। जालौन जिले में 64 गांवों की जमीन अधिग्रहण की जानी है जो इस परियोजना से सबसे अधिक लाभान्वित होंगे।

सोलर पैनल से हर साल करोड़ों की बचत

इस एक्सप्रेसवे के किनारे सोलर पैनल लगाने से हर साल लगभग 6 करोड़ रुपये की ऊर्जा लागत बचाई जा सकेगी। एक्सप्रेसवे के निर्माण और सोलर परियोजना के संचालन की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPIDA) को दी गई है। 15-20 मीटर चौड़ी सड़क और सेवा लेन के बीच की जगह में सोलर पैनल लगाए जाएंगे।

जमीनी विकास और रोजगार में बढ़ावा

इस परियोजना से न सिर्फ बिजली उत्पादन होगा, बल्कि एक्सप्रेसवे के आसपास के गांवों में जमीन की कीमतें भी तेजी से बढ़ेंगी। इसके साथ ही, स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। सोलर पैनल के लिए जमीन अधिग्रहण से किसानों को भी मुनाफा होगा।

ग्रीन एनर्जी के लिए मील का पत्थर

बुंदेलखंड सोलर एक्सप्रेसवे देश में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम है। यह परियोजना भविष्य में अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकती है। 8 सोलर डेवलपर्स ने अपने प्रेजेंटेशन पूरे कर लिए हैं, और जल्द ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू होगा।

एक्सप्रेसवे से जुड़े प्रमुख तथ्य

लंबाई: 296 किलोमीटर
क्षेत्र: इटावा से चित्रकूट
बिजली उत्पादन: 550 मेगावाट
लाभार्थी: 1 लाख घर
समाप्ति समय: 28 महीने
जिलों की संख्या: 7