Karwa Chauth 2024: करवा चौथ व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का सही समय

Haryana kranti, नई दिल्ली: करवा चौथ 2024 का त्योहार आज मनाया जा रहा है और इस पवित्र दिन पर दुल्हनें अपने पतियों की लंबी उम्र और खुशियों की कामना करती हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी इसका विशेष स्थान है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। इस लेख में हम आपको करवा चौथ पूजा का शुभ समय, चंद्रोदय का समय और इस त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से बताएंगे।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह त्यौहार प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन व्रत करने से पति की उम्र लंबी होती है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और करवा में जल भरकर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती हैं।
करवा चौथ की पूजा विधि
करवा चौथ की पूजा में सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व होता है। महिलाएं विवाह के प्रतीक लाल या गुलाबी कपड़े पहनती हैं और सज-धज कर पूजा करती हैं। पूजा की विधि इस प्रकार है:
सोलह श्रृंगार: इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, जिसमें सिन्दूर, बिंदी, चूड़ियां, मेहंदी, बिछिया, नथ आदि शामिल हैं।
करवा की स्थापना: पूजा स्थल को साफ किया जाता है और वहां करवा (मिट्टी का बर्तन) स्थापित किया जाता है। इसमें पानी और कुछ चावल भरे होते हैं।
भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा: करवा चौथ की पूजा में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
कथा सुनना: पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनी जाती है, जो इस व्रत के महत्व को बताती है।
चंद्रमा को अर्घ्य: चंद्रमा निकलने पर उसे अर्घ्य दिया जाता है और फिर व्रत खोला जाता है।
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से चौथे दिन मनाया जाता है। 2024 में करवा चौथ का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
करवा चौथ व्रत का समय: सुबह 06:34 बजे से शाम 07:22 बजे तक
पूजा मुहूर्त: शाम 05:47 बजे से शाम 07:04 बजे तक
पूजा के लिए शाम का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसलिए इस समय पूजन सामग्री की सारी तैयारियां कर लेनी चाहिए।
चंद्रोदय का समय 2024
करवा चौथ की पूजा में चंद्रमा को देखने का सबसे अधिक महत्व है, क्योंकि चंद्रमा को देखने के बाद ही व्रत खोला जाता है। 2024 में विभिन्न शहरों में चंद्रोदय का समय इस प्रकार हो सकता है (प्रतीकात्मक समय):
इस साल चंद्रमा शाम 7:54 बजे उदय होगा। इस समय महिलाएं चंद्रमा की पूजा करती हैं और फिर अपना व्रत खोलती हैं।
पटना 07:29 बजे
लखनऊ 07:42 बजे
कानपुर 07:47 बजे
प्रयागराज 07:42 बजे
दिल्ली 07:53 बजे
नोएडा 07:52 बजे
मुंबई रात्रि 08:36
कोलकाता 07:22 बजे
ध्यान दें कि भौगोलिक स्थिति के आधार पर चंद्रोदय का समय कुछ मिनट आगे-पीछे हो सकता है। इसलिए, स्थानीय समय को देखना सबसे अच्छा होगा।
करवा चौथ व्रत के नियम
करवा चौथ के व्रत को सही तरीके से करने के लिए कुछ नियमों का पालन किया जाता है। यह व्रत कठिन माना जाता है क्योंकि महिलाएं पूरे दिन जल और भोजन ग्रहण नहीं करती हैं। भी:
सुबह खाएं सरगी: करवा चौथ के दिन व्रत में सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाई जाती है। सरगी में मिठाई, फल और सूखे मेवे शामिल होते हैं।
पूरे दिन निर्जला व्रत: इस दिन महिलाएं पानी भी नहीं पीती हैं और सूर्यास्त के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।
चांद देखकर व्रत खोलें: चांद देखकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला जाता है।
सरगी का महत्व
सरगी, जो सास द्वारा बहू को दी जाती है, करवा चौथ व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें फल, मिठाइयां, फल और स्नैक्स शामिल हैं, ताकि दिन भर व्रत रखने वाली महिलाएं ऊर्जा बनाए रख सकें। सरगी सूर्योदय से पहले खाई जाती है, क्योंकि उसके बाद पूरे दिन कुछ भी खाया या पिया नहीं जाता है।
करवा चौथ पर पोशाक और श्रृंगार
इस दिन, दुल्हन की सहेलियाँ आमतौर पर सोलह श्रृंगार करती हैं। वे नई या विशेष रूप से अलंकृत साड़ी या लहंगा चुनते हैं। सिन्दूर, मंगलसूत्र, चूड़ियाँ और बिंदी इस श्रृंगार का मुख्य हिस्सा हैं। इस दिन की विशेष पोशाक और श्रृंगार को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से शुभ माना जाता है।
करवा चौथ व्रत की कथा
करवा चौथ की कहानी कई पौराणिक और लोक कथाओं पर आधारित है। सबसे प्रसिद्ध कहानी वीरावती की है, जिसने अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखा था। उसकी भाभियों ने उसे चाँद निकलने से पहले व्रत तोड़ने के लिए मजबूर किया, जिससे उसके पति की मृत्यु हो गई। लेकिन वीरावती ने अपने पति को पुनः जीवित करने के लिए कठोर तपस्या की।
यह कहानी संदेश देती है कि करवा चौथ का व्रत न केवल प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि महिलाओं की शक्ति और धैर्य का भी प्रतिनिधित्व करता है।