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दिवाली से पहले सरसों तेल की कीमतों में आई गिरावट, खरीदारी करने से पहले जानिए आज के रेट

दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल के दाम में गिरावट आई। इसका मुख्य कारण सहकारी संस्था नाफेड की बिक्री जारी रहना है। जब शिकागो एक्सचेंज में सुधार आया, तब सोयाबीन तेल के दाम में स्थिरता देखी गई।
 
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हाल ही में शिकागो एक्सचेंज ने दो प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ बंद हुआ। इस वृद्धि का असर भारत के खाद्य तेलों की कीमतों पर स्पष्ट देखा जा रहा है। सोयाबीन तेल की कीमतों में सुधार आया है। हालाँकि डी-आयल्ड केक (DOC) की ऊँची कीमतों ने सोयाबीन तिलहन के भाव को स्थिर रखा। इस बीच मूंगफली की आवक में कमी और नमी वाले माल के चलते मूंगफली तेल और तिलहन के दाम भी पूर्वस्तर पर बने रहे।

खाद्य तेलों की वर्तमान स्थिति

ठंड के मौसम के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल की मांग में कमी आई है। इसी वजह से इनके भाव भी स्थिर रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि सोमवार को मलेशिया एक्सचेंज के खुलने पर पाम और पामोलीन के भावों के भविष्य का पता चलेगा।स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में सोयाबीन फसल का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 5-7 प्रतिशत नीचे है। इसी तरह मूंगफली फसल और सूरजमुखी तेल के भाव भी 5-20 प्रतिशत नीचे चल रहे हैं। बाजार की स्थिति में बदलाव लाने के लिए सिर्फ थोक भावों में कमी करना काफी नहीं है।

शुल्क वृद्धि का असर

कुछ व्यापारी यह आशंका जता रहे थे कि शुल्क वृद्धि से खाद्य तेलों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी होगी। लेकिन अबकी बार सरसों तेल की कीमतों में महज 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर मूंगफली तेल की कीमतें 5-7 रुपये प्रति लीटर घट गई हैं। इस बदलाव के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं। मूंगफली तेल के सस्ते होने से देश की कई बंद पड़ी मिलें फिर से चालू हो गई हैं। राजस्थान में सरसों तेल और आयातित तेलों की तुलना में मूंगफली तेल के थोक दाम भी सस्ते हैं।

पिछले 15 सालों से खाद्य तेलों के दाम स्थिर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप देश का तिलहन उत्पादन भी बढ़ने में विफल रहा है। यदि देश में तिलहन का उत्पादन बढ़ता ह तो विभिन्न उपायों से असामान्य परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है। लेकिन यदि हम खाद्य तेलों के लिए आयात पर निर्भर रहेंगे तो इसे नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण होगा। इसलिए खाद्य तेलों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता बेहद आवश्यक है। ऐसा न होने पर देश को विदेशी मुद्रा के भारी खर्च का सामना करना पड़ेगा।

नाफेड की भूमिका

दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों तेल के दाम में गिरावट आई। इसका मुख्य कारण सहकारी संस्था नाफेड की बिक्री जारी रहना है। जब शिकागो एक्सचेंज में सुधार आया, तब सोयाबीन तेल के दाम में स्थिरता देखी गई। सरकार द्वारा आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क बढ़ाने के निर्णय के बाद नाफेड के पास जमा सरसों पिछले लगभग तीन सालों से खप रही थी। अगर ऐसा नहीं होता तो यह खराब होने की स्थिति में पहुँच जाता। अब किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं और देश की पेराई मिलें भी सक्रिय हो गई हैं।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

  • सरसों तिलहन: 6,475-6,525 रुपये प्रति क्विंटल
  • मूंगफली: 6,350-6,625 रुपये प्रति क्विंटल
  • मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात): 15,100 रुपये प्रति क्विंटल
  • मूंगफली रिफाइंड तेल: 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन
  • सरसों तेल दादरी: 13,500 रुपये प्रति क्विंटल
  • सरसों पक्की घानी: 2,160-2,260 रुपये प्रति टिन
  • सरसों कच्ची घानी: 2,160-2,285 रुपये प्रति टिन
  • तिल तेल मिल डिलिवरी: 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली: 13,650 रुपये प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर: 13,150 रुपये प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन तेल डीगम, कांडला: 10,050 रुपये प्रति क्विंटल
  • सीपीओ एक्स-कांडला: 12,350 रुपये प्रति क्विंटल
  • बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा): 12,600 रुपये प्रति क्विंटल
  • पामोलिन आरबीडी, दिल्ली: 13,800 रुपये प्रति क्विंटल
  • पामोलिन एक्स- कांडला: 12,750 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन दाना: 4,760-4,810 रुपये प्रति क्विंटल
  • सोयाबीन लूज: 4,460-4,695 रुपये प्रति क्विंटल
  • मक्का खल (सरिस्का): 4,200 रुपये प्रति क्विंटल