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पंजाब सरकार का बड़ा एक्शन, लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू को लेकर DSP गुरशेर सिंह बर्खास्त, जानें पूरी डिटेल 

 
 
lawrence bishnoi
 

Haryana Kranti, चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने पुलिस हिरासत में गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग की सुविधा देने के आरोप में डीएसपी रैंक के अधिकारी गुरशेर सिंह संधू को बर्खास्त कर दिया है। यह कार्रवाई 3 जनवरी 2025 को गृह विभाग के सचिव गुरकीरत किरपाल सिंह द्वारा जारी आदेश के तहत की गई। 

मामले की पृष्ठभूमि

मार्च 2023 में एक निजी समाचार चैनल ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के दो साक्षात्कार प्रसारित किए थे। ये साक्षात्कार उस समय रिकॉर्ड किए गए थे जब बिश्नोई मोहाली के खरड़ में सीआईए (क्राइम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) की हिरासत में था। बिश्नोई 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी है। 

एसआईटी की जांच और निष्कर्ष

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी जांच में निष्कर्ष निकाला कि पंजाब पुलिस सेवा (पीपीएस) के अधिकारी डीएसपी गुरशेर सिंह संधू ने टीवी चैनल को बिश्नोई के साक्षात्कार की रिकॉर्डिंग की सुविधा प्रदान की थी। यह कृत्य पुलिस हिरासत के नियमों का उल्लंघन और विभाग की छवि को धूमिल करने वाला माना गया। 

बर्खास्तगी का आदेश और कारण

गृह विभाग के सचिव द्वारा जारी बर्खास्तगी आदेश में कहा गया है कि संधू ने कदाचार, लापरवाही और कर्तव्य में ढिलाई बरती, जिससे पंजाब पुलिस की छवि धूमिल हुई। उनकी कर्तव्यनिष्ठा में कमी पुलिस के अनुशासन और आचार संहिता का घोर उल्लंघन है। सरकार ने संविधान के अनुच्छेद-311 के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए यह कार्रवाई की है। 

अन्य पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई

इस घटना के बाद अक्टूबर 2024 में सात पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया था। संधू को भी उसी समय निलंबित किया गया था। अब पंजाब लोक सेवा आयोग की सहमति के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। 

सरकार की प्रतिक्रिया

पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय को यह भी बताया था कि संधू जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और उनका पता नहीं चल पा रहा था। यह मामला पंजाब पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है और सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए यह सख्त कदम उठाया है। 

आगे की संभावित कार्रवाई

इस मामले ने पंजाब पुलिस की कार्यप्रणाली और अनुशासन पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाए हैं। देखना होगा कि सरकार और पुलिस विभाग इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या कदम उठाते हैं।

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले अधिकारियों से उच्च स्तर की कर्तव्यनिष्ठा और अनुशासन की अपेक्षा की जाती है, और किसी भी प्रकार की लापरवाही या कदाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।