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UPSC की तैयारी के लिए छोड़ दी विदेश की नौकरी! दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर बनी IAS, पढ़ें हरि चंदना की कामयाबी की कहानी 

हरि चंदना दसारी (Hari Chandana Dasari) की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो अपने जीवन में बदलाव लाने और समाज के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं। हैदराबाद में जन्मी और पली-बढ़ी हरि ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उनके संघर्ष ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुँचाया।
 
Success Story

Success Story: हरि चंदना दसारी (Hari Chandana Dasari) की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जो अपने जीवन में बदलाव लाने और समाज के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं। हैदराबाद में जन्मी और पली-बढ़ी हरि ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उनके संघर्ष ने उन्हें सफलता के शिखर तक पहुँचाया।

हरि चंदना दसारी का जन्म 

हरि चंदना का जन्म हैदराबाद में हुआ था, जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट एन्स हाई स्कूल और सेंट एन्स कॉलेज से प्राप्त की। उनके पिता एक आईएएस अधिकारी थे और उनके जीवन में सेवा भाव का महत्वपूर्ण स्थान था। इस सेवा भावना ने हरि के जीवन को गहरे तरीके से प्रभावित किया और उन्हें समाज सेवा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

हरि चंदना दसारी की शिक्षा 

इसके बाद, हरि ने हैदराबाद विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा पूरी की और फिर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एनवायरनमेंटल इकोनॉमिक्स में एमएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने प्रतिष्ठित संस्थाओं जैसे वर्ल्ड बैंक और बीपी शेल में काम किया। लंदन में उनकी नौकरी बेहद आकर्षक थी, लेकिन उनकी आत्मा को संतोष नहीं मिल रहा था। हमेशा से उनका सपना था कि वे अपने देश के लिए कुछ बड़ा करें।

आईएएस बनने का सफर 

हरि चंदना ने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण फैसले के रूप में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की। 2010 में उन्होंने तेलंगाना कैडर की आईएएस अधिकारी के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। यह उनकी दूसरी कोशिश थी, जिसमें उन्हें सफलता मिली। उनके संघर्ष और समर्पण ने साबित कर दिया कि सही दिशा में प्रयास और समाज सेवा का जज्बा किसी भी चुनौती को पार कर सकता है।

समाज सेवा में योगदान

आईएएस बनने के बाद, हरि चंदना ने हैदराबाद में संयुक्त कलेक्टर के रूप में काम किया। यहां उन्होंने हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की। उनके प्रयासों की सराहना की गई और उन्हें प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।