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Savita Pradhan Success Story: 16 की उम्र में हुई शादी, घरेलू हिंसा के चलते दो बच्चों के साथ छोड़ा ससुराल, मात्र 2700 रुपये से बनीं IAS

 
 
2700 रुपये में बनीं IAS
 

Haryana Kranti, नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मंडई गांव की सविता प्रधान का जीवन चुनौतियों और संघर्षों से भरा रहा है। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनकी प्रेरक कहानी ने एक बार फिर से सबका ध्यान खींचा। आइए जानते हैं उनके साहस और दृढ़ निश्चय की पूरी कहानी।

आर्थिक तंगी में स्कूल की पढ़ाई की शुरुआत

सविता प्रधान का जन्म एक आदिवासी परिवार में हुआ। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। लेकिन उनकी मां ने उनकी शिक्षा के लिए हर संभव कोशिश की। स्कॉलरशिप की मदद से सविता ने अपनी 10वीं कक्षा पूरी की। वह अपने गांव की पहली लड़की बनीं, जिसने स्कूल पास किया।

आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें 7 किलोमीटर दूर के स्कूल में एडमिशन लेना पड़ा। उनकी मां ने पार्ट-टाइम नौकरी कर उनके स्कूल के खर्चों का इंतजाम किया।

16 साल की उम्र में शादी और घरेलू हिंसा

डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली सविता का जीवन अचानक बदल गया। उनके परिवार ने उनका रिश्ता एक अमीर परिवार में तय कर दिया। महज 16 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई।

शादी के बाद, सविता का जीवन बेहद कठिन हो गया। ससुराल वालों और पति ने उन पर कई पाबंदियां लगाईं। पति की मारपीट और घरेलू हिंसा ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया।

घरेलू हिंसा के बाद साहसिक कदम

घरेलू हिंसा और अपमान से परेशान होकर सविता ने आत्महत्या करने का विचार किया। लेकिन अपने बच्चों के लिए उन्होंने हिम्मत जुटाई। एक दिन, उन्होंने ससुराल छोड़ने का साहसिक फैसला लिया।

सविता केवल 2700 रुपये लेकर अपने दो बच्चों के साथ ससुराल से बाहर निकल गईं। उन्होंने एक ब्यूटी सैलून खोला और अपने बच्चों की परवरिश के लिए मेहनत की।

पढ़ाई के साथ सफलता की ओर कदम

अपने बच्चों की परवरिश करते हुए सविता ने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने भोपाल के बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में बीए की डिग्री हासिल की।

इसी दौरान उन्होंने राज्य सिविल सेवा परीक्षा के बारे में सुना। उन्होंने इसे पास करने का निश्चय किया और कड़ी मेहनत की।

पहली बार में ही राज्य सिविल सेवा परीक्षा पास

सविता ने केवल 24 साल की उम्र में राज्य सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। उनका यह पहला ही प्रयास था। उन्हें मुख्य नगरपालिका अधिकारी के पद पर तैनात किया गया।

IAS बनने की प्रेरक यात्रा

सविता की कड़ी मेहनत ने उन्हें लगातार प्रमोशन दिलाए। उनके काम की सराहना हर स्तर पर की गई। आखिरकार, उन्होंने IAS बनने का सपना भी पूरा कर लिया।

आज सविता ग्वालियर और चंबल क्षेत्र की अर्बन एडमिनिस्ट्रेशन की जॉइंट डायरेक्टर हैं। उनके संघर्ष और सफलता की कहानी ने कई महिलाओं को प्रेरित किया है।

दूसरी शादी और महिलाओं के लिए प्रेरणादायक काम

सविता ने अपने पहले पति से तलाक लिया और दूसरी शादी की। उन्होंने ‘हिम्मत वाली लड़कियां’ नाम से एक यूट्यूब चैनल शुरू किया। इस चैनल के जरिए वह महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने की प्रेरणा देती हैं।

सविता की कहानी से सीख

सविता प्रधान की कहानी न केवल संघर्ष की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाती है कि साहस और मेहनत से सब कुछ संभव है।