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आईएएस बनने का ऐसा जुनून की छोड़ लंदन की करोड़ों की नौकरी! बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में हासिल की UPSC में सफलता, पढ़ें IAS दिव्या मित्तल की स्टोरी 

UPSC परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसे हर साल लाखों उम्मीदवार पास करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, कोचिंग का सहारा लेने के बावजूद सफलता की गारंटी नहीं होती। लेकिन कुछ लोग अपनी कड़ी मेहनत, सही दिशा और मजबूत इरादों के साथ इस कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करते हैं।
 
UPSC Success Story

UPSC Success Story: UPSC परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसे हर साल लाखों उम्मीदवार पास करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, कोचिंग का सहारा लेने के बावजूद सफलता की गारंटी नहीं होती। लेकिन कुछ लोग अपनी कड़ी मेहनत, सही दिशा और मजबूत इरादों के साथ इस कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करते हैं। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है आईएएस दिव्या मित्तल की, जिन्होंने बिना कोचिंग के न केवल यूपीएससी परीक्षा पास की, बल्कि कई अन्य कठिन परीक्षाओं में भी सफलता हासिल की।

शिक्षा और प्रारंभिक जीवन

JEE पास करने के बाद, दिव्या मित्तल ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद, उन्होंने CAT की परीक्षा पास की और आईआईएम बैंगलोर से एमबीए की डिग्री हासिल की।

लंदन में शानदार नौकरी

एमबीए करने के बाद दिव्या ने लंदन में एक बहु-राष्ट्रीय कंपनी में करोड़ों के पैकेज पर काम किया। यह नौकरी उनके लिए बहुत ही आकर्षक थी, लेकिन उनके जीवन में कुछ और बड़ा करने की इच्छा थी।

यूपीएससी की तैयारी

दिव्या के पति गगनदीप 2011 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उनके पति से प्रेरित होकर दिव्या ने UPSC की तैयारी का निर्णय लिया। लंदन की शानदार नौकरी को अलविदा कहकर, दिव्या ने घर पर ही अपनी तैयारी शुरू की।

पहला प्रयास में सफलता

दिव्या ने बिना किसी कोचिंग के पहले प्रयास में ही UPSC परीक्षा में आईपीएस रैंक हासिल की। हालांकि, उनका सपना आईएएस बनने का था, और उन्होंने फिर से परीक्षा दी।

आईएएस में सफलता

दिव्या मित्तल ने 2013 में अपनी दूसरी कोशिश में 68वीं रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बन गईं। यह सफलता उनके संघर्ष, आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम का परिणाम थी।

दिव्या मित्तल की प्रशासनिक यात्रा

आईएएस बनने के बाद दिव्या ने कई प्रमुख जिलों की कमान संभाली और अपनी प्रशासनिक क्षमता का लोहा मनवाया। उन्होंने संतकबीरनगर, मिर्जापुर और बस्ती जैसे जिलों में काम किया.