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हरियाणा के आमजन को बड़ा झटका, बिजली उपभोक्ताओं को अब इतने देने होंगे पर यूनिट, जानें 

 
 
बिजली उपभोक्ताओं को अब इतने देने होंगे पर यूनिट

Haryana Kranti, चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने 84 लाख बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका दिया है। सरकार ने बिजली पर ईंधन अधिभार समायोजन को 2026 तक बढ़ा दिया है। उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट बिजली पर 47 रुपये का एफएसए देना होगा। इस वृद्धि का मुख्य रूप से उन उपभोक्ताओं पर प्रभाव पड़ेगा जो 200 यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करते हैं।

ईंधन अधिभार समायोजन (एफएसए) क्या है?

ईंधन अधिभार समायोजन (एफएसए) वह शुल्क है जो विद्युत उत्पादन में प्रयुक्त ईंधन की बढ़ी हुई लागत की भरपाई के लिए लगाया जाता है। हरियाणा में पहली बार यह शुल्क 2023 में लागू किया गया था। सरकार ने इस बार फिर इसमें बढ़ोतरी की है।

200 यूनिट तक बिजली पर एफएसए से छूट

राज्य सरकार ने 200 यूनिट तक बिजली उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं को राहत दी है। ऐसे उपभोक्ताओं को एफएसए का भुगतान नहीं करना होगा। लेकिन यदि बिजली की खपत 200 यूनिट से एक यूनिट भी अधिक होती है तो उन्हें पूरा एफएसए देना होगा। यदि किसी उपभोक्ता को 201 यूनिट का भी बिल भेजा जाता है तो उसे पूरे 201 यूनिट पर एफएसए का भुगतान करना होगा।

बिजली बिल पर कितना बोझ बढ़ेगा?

सरकार का यह निर्णय 200 यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए झटका है। प्रति यूनिट एफएसए राशि जुड़ने से उपभोक्ताओं को अपने बिजली बिल में 94.47 रुपए अतिरिक्त देने होंगे।

बिजली उपभोक्ताओं के लिए राहत भरे फैसले

राज्य सरकार ने जून माह में बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए 2 किलोवाट तक के घरेलू मीटर वाले उपभोक्ताओं का मासिक शुल्क माफ कर दिया था।

इससे पहले उपभोक्ताओं से 115 रुपये प्रति किलोवाट घंटा मासिक शुल्क लिया जाता था। इस निर्णय से लगभग 950,000 उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है।

एफएसए का प्रभाव और उपभोक्ता समस्याएं

एफएसए में वृद्धि का सीधा असर 200 यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इससे न केवल उनका बिजली बिल बढ़ेगा। बल्कि इसका असर मासिक बजट पर भी पड़ेगा।

विद्युत निगम की वित्तीय स्थिति और एफएसए आवश्यकता

हरियाणा सरकार ने बिजली निगम के घाटे को देखते हुए वर्ष 2023 में एफएसए लागू किया था। निगम की वित्तीय स्थिति को स्थिर करने के लिए शुल्कों में बार-बार वृद्धि की जा रही है। सरकार का कहना है कि बिजली उत्पादन और आपूर्ति स्थिरता बनाए रखने के लिए यह निर्णय आवश्यक है।