Haryana News: हरियाणा सरकार के 2 कानूनों को केंद्र ने भेजा वापस, विधानसभा में फिर होगा संशोधन, जानें क्या हैं ये दोनों विधेयक?

केंद्र सरकार ने हरियाणा के लिए एक बड़ा झटका देते हुए राज्य की ओर से पारित किए गए दो महत्वपूर्ण विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। ये दोनों विधेयक पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में पास किए गए थे। केंद्र ने इन विधेयकों में आवश्यक संशोधन का सुझाव देकर इन्हें हरियाणा सरकार को वापस भेज दिया है। अब राज्य सरकार ने इन विधेयकों को सोमवार को विधानसभा में वापस लेने की योजना बनाई है। इनमें से एक बिल "हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023" है जबकि दूसरा "हरियाणा ऑनरेबल डिस्पोजल ऑफ डेड बॉडी बिल 2024" से संबंधित है।
संगठित अपराध पर था कड़ा प्रावधान
हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 का मकसद राज्य में बढ़ते संगठित अपराधों पर सख्ती से नकेल कसना था। इस कानून में संगठित अपराधियों, गैंगस्टरों और उनके सहयोगियों पर प्रभावी तरीके से कार्रवाई के प्रावधान किए गए थे। कानून में कठोर दंड के साथ-साथ संपत्तियों की जब्ती जैसे प्रावधान भी शामिल थे। हालाँकि कांग्रेस पार्टी ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया। असंध से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक शमशेर सिंह गोगी ने विधानसभा में इस कानून पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि यह कानून सरकार को अधिक शक्ति प्रदान कर सकता है जिससे इसका दुरुपयोग होने की संभावना है।
धरना-प्रदर्शन पर लगाम लगाने की कोशिश
दूसरा कानून "हरियाणा ऑनरेबल डिस्पोजल ऑफ डेड बॉडी बिल 2024" था, जिसका उद्देश्य किसी भी मृतक के शव का उपयोग धरना, प्रदर्शन, या रोड जाम के लिए रोकना था। इस विधेयक के अनुसार, शव के साथ धरना-प्रदर्शन करने पर छह महीने से पांच साल तक की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान था। इस बिल के जरिए सरकार का मानना था कि संवेदनशील मुद्दों पर कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी। लेकिन कांग्रेस ने इस विधेयक का भी कड़ा विरोध किया। कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा ने आरोप लगाया कि यह कानून उन लोगों की आवाज को दबाने का प्रयास है जो सरकारी तंत्र की लापरवाही की वजह से हुई मौतों पर न्याय की मांग कर रहे हैं।
विधानसभा में हुआ हंगामा
हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक जब विधानसभा में पेश किया गया था, तब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसे राज्य में संगठित अपराध को रोकने के लिए बेहद जरूरी बताया था। विधानसभा में बजट सत्र के आखिरी दिन इस विधेयक पर जोरदार बहस हुई थी। कई विपक्षी नेताओं ने इसे सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कानून सरकारी ताकत के दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकता है। इसके बावजूद बीजेपी सरकार ने इसे पास करवाने में सफलता पाई थी।
कांग्रेस ने बिलों की वापसी पर उठाए सवाल
केंद्र सरकार द्वारा दोनों विधेयकों को वापस भेजने के बाद कांग्रेस ने बीजेपी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) गठबंधन पर निशाना साधा। कांग्रेस का कहना है कि इन कानूनों को बिना सोचे-समझे पारित किया गया था और अब केंद्र ने इन्हें लौटा दिया है जिससे सरकार की मंशा पर सवाल उठते हैं। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि यह सरकार की विफलता को उजागर करता है कि वह सही तरह से कानून बनाने में असमर्थ है।
अब क्या करेगी हरियाणा सरकार?
राज्य सरकार अब इन दोनों बिलों को विधानसभा में वापस लेने के बाद इनमें संशोधन करेगी या संभवतः इन्हें दोबारा पेश ही न किया जाए। हालांकि, अभी तक सरकार ने इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। माना जा रहा है कि सरकार इन बिलों में आवश्यक संशोधन करके इन्हें दोबारा केंद्र को भेज सकती है या फिर इन्हें स्थायी रूप से वापस लेने का निर्णय भी लिया जा सकता है।
क्या है इन विधेयकों की अहमियत?
संगठित अपराध पर नियंत्रण: हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 का उद्देश्य राज्य में बढ़ते संगठित आपराधिक गिरोहों को रोकना था। इसमें कड़े दंड और संपत्ति जब्त करने जैसे प्रावधान शामिल थे।
शव प्रदर्शन पर रोक: हरियाणा ऑनरेबल डिस्पोजल ऑफ डेड बॉडी बिल 2024 के जरिए सरकार की मंशा थी कि किसी भी मृतक के शव का प्रदर्शन, धरना या रोड जाम करने की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। इसका उद्देश्य था कि संवेदनशील मामलों में कानून व्यवस्था को बेहतर बनाए रखा जा सके।
केंद्र द्वारा बिल लौटाने के पीछे क्या कारण?
केंद्र सरकार ने इन विधेयकों को लौटा दिया क्योंकि उसे इन कानूनों में कुछ संशोधन की जरूरत महसूस हुई। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने सुझाव दिया कि इन कानूनों में कुछ प्रावधानों को और स्पष्ट किया जाना चाहिए ताकि किसी भी तरह के दुरुपयोग की संभावना को रोका जा सके। हरियाणा सरकार अब इन सुझावों के अनुसार इन विधेयकों में संशोधन करेगी।