हरियाणा रोडवेज में बसों की स्पीड लिमिट तय, अब इतनी रहेगी बसों की अधिकतम स्पीड, जानें

Haryana Roadway: हरियाणा रोडवेज ने यात्रियों की सुरक्षा और बसों की संचालन गति को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब से, राज्य में रोडवेज बसों की स्पीड लिमिट तय कर दी गई है। यह निर्णय खासतौर पर बसों की ओवरस्पीडिंग को रोकने और दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने के लिए लिया गया है। इस लेख में हम जानेंगे कि हरियाणा रोडवेज में स्पीड लिमिट के इस नए नियम का क्या असर होगा और यात्रियों के लिए यह क्यों जरूरी है।
हरियाणा रोडवेज की बसों की स्पीड लिमिट
हरियाणा रोडवेज के बेड़े में करीब 4000 बसे हैं और अब इन बसों की स्पीड लिमिट को नियंत्रित किया जाएगा। विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि नेशनल हाईवे पर बसों की अधिकतम स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक न हो, जबकि अन्य मार्गों पर भी बसों को निर्धारित गति सीमा के अंदर ही चलाना होगा।
स्पीड लिमिट के फैसले के पीछे कारण
ओवरस्पीडिंग से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है। हाल ही में सोशल मीडिया पर रोडवेज बसों के तेज दौड़ते हुए वीडियो वायरल हुए थे, जिनसे विभाग को इस मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता महसूस हुई। खासकर शहरों और व्यस्त मार्गों पर तेज़ गति से बस चलाने से ट्रैफिक जाम और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। स्पीड लिमिट को लागू करके यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और दुर्घटनाओं के खतरे को कम किया जा सकेगा।
ड्राइवर और परिचालक की प्रतिक्रिया
हरियाणा रोडवेज के चालक संघ के अध्यक्ष संजीव और सुधीर अहलावत ने इस निर्णय के बारे में अपनी राय दी। उन्होंने बताया कि, लंबे रूटों पर यात्रा करते समय अक्सर बसों को समय पर पहुंचने का दबाव होता है, जिसके कारण ड्राइवरों को कभी-कभी अधिक गति से बस चलाने की मजबूरी होती है। संदीप और सत्येंद्र, जो रोडवेज के ड्राइवर हैं, ने बताया कि बसों की स्पीड पहले ही 80 किलोमीटर प्रति घंटे पर सेट है, लेकिन अधिक दूरी और समय की कमी के कारण कभी-कभी बस को थोड़ी तेज़ी से चलाने की आवश्यकता पड़ती है।
रात्रि ठहराव पर नए नियम
हरियाणा रोडवेज के नए नियम के अनुसार, चालक और परिचालक अब महीने में 10 या उससे ज्यादा किसी शहर या गांव में रात्रि ठहराव नहीं कर पाएंगे। यदि ऐसा होता है, तो इसके लिए महाप्रबंधकों को निदेशालय और ACS से मंजूरी लेनी पड़ेगी।महीने में केवल 10 दिनों तक रात्रि ठहराव के बिल महाप्रबंधक के स्तर पर पास किए जा सकेंगे। इससे ज्यादा के लिए मुख्यालय से मंजूरी लेनी होगी। यह कदम कर्मचारियों की कार्यकुशलता और बसों के संचालन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।