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Cotton Price : नरमा-कपास के भाव में गिरावट से किसान चिंतित, बिनौला की कीमतों में भी आई भारी कमी, जानें बड़ी अपडेट

नरमा के भाव में गिरावट का मुख्य कारण बिनौला के भावों में गिरावट होना है। पहले बिनौला के भाव 4805 रुपए प्रति क्विंटल थे, लेकिन अब ये घटकर 3701 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। बिनौला की कीमतों का सीधा असर नरमा की कीमतों पर पड़ता है, क्योंकि यह दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
 
Kapas Ka Bhav

Kapas Ka Bhav : नरमा के भाव में हो रही लगातार गिरावट ने किसानों और कॉटन फैक्ट्रियों दोनों को परेशान कर दिया है। नरमा, जो कपास उत्पादन का अहम हिस्सा है, अब किसान और व्यापारी दोनों के लिए चिंताजनक बन गया है। इस गिरावट का असर स्थानीय स्तर पर सिर्फ किसानों पर नहीं बल्कि कपास फैक्ट्रियों के संचालन पर भी देखा जा रहा है। सूरतगढ़ की नई धानमंडी में नरमा की आवक की शुरुआत नवरात्रा से हुई थी जब नरमा के भाव 7412 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से विक्रय हो रहे थे। शुरुआत में कीमतें उच्च थीं लेकिन अब तक यह लगातार गिरावट की ओर बढ़ रही हैं।

इनकी वर्तमान कीमतें घटकर 7202 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, और ऐसा लगता है कि यह गिरावट आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी। व्यापारियों का मानना है कि नरमा के भाव 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल और कम हो सकते हैं। नई धानमंडी में प्रतिदिन करीब एक हजार से पन्द्रह सौ क्विंटल नरमा की आवक हो रही है, जबकि सूरतगढ़ और उसके आसपास की करीब दस फैक्ट्रियों को हर दिन पांच सौ क्विंटल नरमा की आवश्यकता रहती है। इस कमी के कारण फैक्ट्रियों के मालिकों को मुश्किलें आ रही हैं। नरमा की कमी और घटते हुए भाव ने उनके कामकाजी माहौल को प्रभावित किया है। Kapas Ka Bhav

नरमा के भाव में गिरावट के कारण

नरमा के भाव में गिरावट का मुख्य कारण बिनौला के भावों में गिरावट होना है। पहले बिनौला के भाव 4805 रुपए प्रति क्विंटल थे, लेकिन अब ये घटकर 3701 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। बिनौला की कीमतों का सीधा असर नरमा की कीमतों पर पड़ता है, क्योंकि यह दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। राजस्थान के सूरतगढ़ क्षेत्र में बिनौला और खल के भाव में लगातार मंदी देखी जा रही है। इससे किसान और व्यापारी दोनों परेशान हैं, क्योंकि बिनौला और नरमा के बीच की खाई बढ़ रही है, और किसानों को अपने उत्पाद के उचित मूल्य मिलने की संभावना कम होती जा रही है।

किसान लगातार नरमा के भाव में गिरावट से चिंतित हैं। किसान अपनी मेहनत और खर्च का सही मूल्य पाने के लिए आश्वस्त नहीं हैं। एक ओर जहां फसल पकने तक बीमारी और मौसम की चिंता बनी रहती है, वहीं दूसरी ओर अब किसानों को यह डर भी सता रहा है कि उन्हें फसल के अच्छे दाम नहीं मिलेंगे। इस आर्थिक दबाव ने किसान समुदाय में निराशा और तनाव को जन्म दिया है। किसान अब यह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार या अन्य संबंधित एजेंसियां इस संकट से उबरने के लिए कुछ उपाय करें। हालांकि, नरमा की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन और गिरते हुए भाव उनके लिए एक चुनौती बने हुए हैं।

फैक्ट्रियों पर असर और उनके संचालन में परेशानी

सूरतगढ़ क्षेत्र में स्थित पांच प्रमुख कॉटन फैक्ट्रियों को रोजाना पांच सौ क्विंटल नरमा की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह उम्मीद की जा रही थी कि पर्याप्त नरमा की आपूर्ति होगी, लेकिन अब तक सिर्फ एक हजार से पन्द्रह सौ क्विंटल नरमा ही मंडी में आ रहा है। इस कमी के कारण फैक्ट्रियों के संचालन में परेशानी उत्पन्न हो रही है। मंडी में नरमा के भाव घटने से यह समस्या और गंभीर हो गई है। अब फैक्ट्रियों को उत्पादन की गति को बनाए रखने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता हो रही है। फैक्ट्रियों के मालिकों का कहना है कि उन्हें दैनिक रूप से कम नरमा मिल रहा है, जिससे उत्पादन में कमी आई है और उन्हें मुनाफा कम हो रहा है।

नरमा की कीमतों का भविष्य और किसानों की राह

बिनौला के भाव में गिरावट के कारण नरमा के भाव में जो कमी हो रही है उससे आने वाले समय में और भी समस्या पैदा हो सकती है। व्यापारियों का कहना है कि नरमा के भाव अगले कुछ दिनों में और घट सकते हैं जिससे किसानों और फैक्ट्रियों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। किसान और व्यापारी दोनों आशा कर रहे हैं कि भविष्य में स्थितियां सुधरेंगी और नरमा के भाव में थोड़ी स्थिरता आएगी। हालांकि इस समय स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण है और किसान अब अपनी फसल के उचित मूल्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अगर नरमा के भाव में गिरावट और कम आपूर्ति की समस्या बनी रही तो यह आने वाले समय में और भी कठिनाई का कारण बन सकती है।