Wheat Farming Advice: गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी सलाह, बंपर उत्पादन के लिए अपनाएं ये जरूरी कदम

Wheat Farming Advice: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा ने गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए नई और महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। यह सलाह खासतौर पर उन किसानों के लिए बेहद लाभकारी है जिनकी फसल 21 से 25 दिन की हो चुकी है। इसके अलावा पछेती बुवाई करने वाले किसानों को भी नई किस्मों और जरूरी उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है। पूसा के वैज्ञानिकों का मानना है कि सही समय पर सही कदम उठाकर किसान बंपर उत्पादन हासिल कर सकते हैं।
पहले बुवाई कर चुके किसान क्या करें?
अगर आपने समय पर गेहूं की बुवाई कर दी है और आपकी फसल 21 से 25 दिन की हो चुकी है तो पूसा के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार फसल को पहली सिंचाई की आवश्यकता है। मौसम विभाग के अनुसार अगले पांच दिनों तक मौसम शुष्क रहने की संभावना है। ऐसे में किसानों को तुरंत पहली सिंचाई कर लेनी चाहिए।
सिंचाई के 3-4 दिन बाद उर्वरक की दूसरी मात्रा डालना अनिवार्य है। उर्वरक में नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश की संतुलित मात्रा दें। यह ध्यान रखें कि उर्वरक के प्रयोग से फसल की बढ़वार अच्छी होती है और उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
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पछेती बुवाई के लिए ये उपाय जरूरी
जो किसान अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाए हैं उन्हें तापमान को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द बुवाई कर लेनी चाहिए। पूसा के वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि पछेती बुवाई के लिए बीज दर 125 किलो प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए। बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए:
- बाविस्टिन @ 1.0 ग्राम या
- थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजों का उपचार करें।
जिन खेतों में दीमक का प्रकोप अधिक रहता है वहां क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) @ 5.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ या सूखे खेत में छिड़काव करें। यह फसल को कीटों से बचाने के लिए कारगर उपाय है।
साथ ही उर्वरकों की मात्रा का संतुलन भी जरूरी है।
- नाइट्रोजन: 150 किलो प्रति हेक्टेयर
- फास्फोरस: 60 किलो प्रति हेक्टेयर
- पोटाश: 40 किलो प्रति हेक्टेयर
पछेती बुवाई के लिए गेहूं की ये उन्नत किस्में
पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने पछेती बुवाई के लिए कुछ विशेष किस्मों की सिफारिश की है। इन किस्मों का प्रयोग करने से किसानों को बेहतर उत्पादन मिलने की संभावना है:
- एचडी 3059
- एचडी 3237
- एचडी 3271
- एचडी 3369
- एचडी 3117
- डब्ल्यूआर 544
- पीबीडब्ल्यू 373
इन किस्मों की विशेषता यह है कि ये कम समय में अधिक पैदावार देती हैं। साथ ही ये किस्में रोग और कीट प्रतिरोधी भी हैं।
फसल प्रबंधन के लिए खास सलाह
- मिट्टी की जाँच: उर्वरकों के सही इस्तेमाल के लिए खेत की मिट्टी की जांच कराएं। इससे पता चलेगा कि मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है।
- सिंचाई का समय: पहली सिंचाई के बाद दूसरी सिंचाई 25-30 दिनों के अंदर करें। पानी की कमी से फसल की वृद्धि रुक सकती है।
- खरपतवार नियंत्रण: फसल को खरपतवार से मुक्त रखना आवश्यक है। इसके लिए सही समय पर खरपतवारनाशक का छिड़काव करें।
- कीट और रोग प्रबंधन: फसल पर नजर रखें और कीट या रोग के लक्षण दिखने पर तुरंत कृषि विशेषज्ञ की सलाह लें।
किसानों को क्यों जरूरी है ये सलाह?
पूसा के वैज्ञानिकों की ये सलाह किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। खासतौर पर उन किसानों के लिए जो पिछली बार कम पैदावार से परेशान थे। फसल प्रबंधन के सही तरीके अपनाकर न सिर्फ उत्पादन बढ़ाया जा सकता है बल्कि खेती में आने वाली समस्याओं को भी समय पर हल किया जा सकता है। पछेती बुवाई करने वाले किसानों के लिए यह सुझाव और किस्मों की जानकारी वरदान साबित हो सकती है।